हम गुस्से मे चिल्लाते क्यों हैं ? Why Are We Angry Shout?
हम गुस्से में चिल्लाने के कई कारण होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
1. भावनाओं को व्यक्त करना:
जब हम गुस्से में होते हैं, तो अक्सर हमें ऐसा लगता है कि हमारी बातें सुनी नहीं जा रही हैं या हमारी भावनाओं को समझा नहीं जा रहा है। चिल्लाना एक शक्तिशाली तरीका हो सकता है जिससे हम अपनी निराशा, क्रोध और आक्रोश को व्यक्त कर सकें।
2. डर या खतरा महसूस करना:
जब हमें डर या खतरा महसूस होता है, तो हमारा शरीर "लड़ाई या भागो" प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है। यह प्रतिक्रिया हृदय गति, रक्तचाप और श्वसन दर में वृद्धि का कारण बनती है। चिल्लाना इस प्रतिक्रिया का एक हिस्सा हो सकता है, क्योंकि यह हमें ज़ोर से आवाज करके खतरे को डराने या दूसरों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करने का एक तरीका प्रदान करता है।
3. नियंत्रण हासिल करने का प्रयास करना:
जब हम गुस्से में होते हैं, तो हमें ऐसा लग सकता है कि हमने स्थिति पर नियंत्रण खो दिया है। चिल्लाना नियंत्रण की भावना को वापस पाने का एक तरीका हो सकता है, क्योंकि यह हमें ऐसा महसूस कराता है कि हम सुने जा रहे हैं और हमारा ध्यान दिया जा रहा है।
4. दूसरों को चोट पहुंचाना:
कुछ मामलों में, लोग गुस्से में दूसरों को चोट पहुंचाने के लिए चिल्ला सकते हैं। वे जानबूझकर अपमानजनक या भड़काऊ शब्द कह सकते हैं, या वे बस इतने जोर से चिल्ला सकते हैं कि यह दूसरों के लिए दर्दनाक हो।
5. ध्यान आकर्षित करना:
कभी-कभी, लोग ध्यान आकर्षित करने के लिए चिल्ला सकते हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें सुना जाए या देखा जाए, और उन्हें लगता है कि चिल्लाना ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चिल्लाना हमेशा एक स्वस्थ तरीके से गुस्से को व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका नहीं होता है। यह दूसरों को नुकसान पहुंचा सकता है, रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकता है, और संघर्ष को बढ़ा सकता है। यदि आप अक्सर गुस्से में चिल्लाते हैं, तो यह सीखना महत्वपूर्ण है कि अपने गुस्से को अधिक स्वस्थ तरीके से कैसे प्रबंधित किया जाए।
यहां कुछ विकल्प दिए गए हैं जो चिल्लाने के बजाय गुस्से को व्यक्त करने में मदद कर सकते हैं:
- अपनी भावनाओं को शांत करने के लिए कुछ समय लें। गहरी सांस लें, दस तक गिनें, या किसी शांत जगह पर जाएं।
- अपने गुस्से को व्यक्त करने के लिए शब्दों का प्रयोग करें। किसी ऐसे व्यक्ति से बात करें जिस पर आप भरोसा करते हैं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं, या अपनी भावनाओं को एक जर्नल में लिखें।
- शारीरिक गतिविधि करें। व्यायाम एंडोर्फिन जारी करने में मदद कर सकता है, जो आपके मूड को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
- विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें। योग, ध्यान या गहरी सांस लेने के व्यायाम तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकते हैं।
एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। अचानक उन्होंने सभी शिष्यों से एक सवाल पूछा। बताओ जब दो लोग एक दूसरे पर गुस्सा करते हैं तो जोर-जोर से चिल्लाते क्यों हैं? शिष्यों ने कुछ देर सोचा और एक ने उत्तर दिया हम अपनी शांति खो चुके होते हैं इसलिए चिल्लाने लगते हैं।
संत ने मुस्कुराते हुए कहा : दोनों लोग एक दूसरे के काफी करीब होते हैं तो फिर धीरे- धीरे भी तो बात कर सकते हैं। आखिर वह चिल्लाते क्यों हैं? कुछ और शिष्यों ने भी जवाब दिया लेकिन संत संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने खुद उत्तर देना शुरू किया।
वह बोले : जब दो लोग एक दूसरे से नाराज होते हैं तो उनके दिलों में दूरियां बहुत बढ़ जाती हैं। जब दूरियां बढ़ जाएं तो आवाज को पहुंचाने के लिए उसका तेज होना जरूरी है। दूरियां जितनी ज्यादा होंगी उतनी तेज चिल्लाना पड़ेगा। दिलों की यह दूरियां ही दो गुस्साए लोगों को चिल्लाने पर मजबूर कर देती हैं। वह आगे बोले, जब दो लोगों में प्रेम होता है तो वह एक दूसरे से बड़े आराम से और धीरे-धीरे बात करते हैं। प्रेम दिलों को करीब लाता है और करीब तक आवाज पहुंचाने के लिए चिल्लाने की जरूरत नहीं। जब दो लोगों में प्रेम और भी प्रगाढ़ हो जाता है तो वह खुसफुसा कर भी एक दूसरे तक अपनी बात पहुंचा लेते हैं। इसके बाद प्रेम की एक अवस्था यह भी आती है कि खुसफुसाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। एक दूसरे की आंख में देख कर ही समझ आ जाता है कि क्या कहा जा रहा है।
शिष्यों की तरफ देखते हुए संत बोले : अब जब भी कभी बहस करें तो दिलों की दूरियों को न बढ़ने दें। शांत चित्त और धीमी आवाज में ही बात करें। ध्यान रखें कि कहीं दूरियां इतनी न बढ़ जाएं कि वापिस आना ही मुमकिन न हो।
यदि आप अपने गुस्से को प्रबंधित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो पेशेवर मदद लेना महत्वपूर्ण है।
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