सुप्रभातम्

प्रत्येक व्यक्ति को यह अपना जीवन एक यज्ञ की तरह पवित्र जीना  चाहिए,अपने मन में ऐसी भावनायें रखनी चाहिए जो दूसरों की भलाई कर सके ,मन में सबके प्रति सद्भावनायें रखकर ,सयमपूर्णं सच्चरित्रता के साथ समय व्यतीत करना ,अपनी जिह्वा से सत्य बोलना,ईश्वर को हमेशा प्रत्येक कार्य में धन्यवाद देते रहना ,अनुकूल -विपरीत समय में व्याकुल न होना,अपने परिवार में ईमानदारी से कमाये हुए धन से गुजारा करना यही सभी नियमो के कारण मनुष्य का जीवन पवित्र यज्ञ की तरह बनाया जा सकता है  । मनुष्य जीवन को सफल करके समाज कल्याण में लगाकर ही एक आदर्श जीवन बन सकता है ।
जब तक व्यक्ति के मन में अहंकार की भावना रहेगी तब तक समर्पण की भावना के अंकुर निकलना असंभव है ।

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