आपने गाँव और शहरो मे लोगों को राम राम बोलते सुना होगा। क्या आपको पता है सिर्फ दो बार ही *राम राम .... क्यों कहा जाता है?*
क्या कभी सोचा है कि बहुत से लोग जब एक दूसरे से मिलते हैं तो आपस में एक दूसरे को दो बार ही *“राम राम"* क्यों बोलते हैं ?
*एक बार या तीन बार क्यों नही बोलते ?*
दो बार *“राम राम"* बोलने के पीछे बड़ा गूढ़ रहस्य है
आइए जानते है इसके
बारे मे :-
क्योंकि यह आदि काल से ही चला आ रहा है...
वेदान्त में एक मात्रकविहीन सार्वभौमिक ध्रुवांक
108 का उल्लेख मिलता है जिसका अविष्कार
हजारों वर्षों पूर्व हमारे ऋषि-मुनियों ने किया
था । हिन्दू धर्म में 108 के अंक का अपना एक अलग
महत्व है। रुद्राक्ष की माला में 108 मनके होते
हैं, मंत्रों का जाप 108 बार किया जाता है।
ईश्वर का नाम लेना हो तो उसे भी तभी शुभ
और संपूर्ण माना जाता है जब वह 108 बार
लिया जाए।
हिन्दी की शब्दावली में *‘र'* सत्ताइस्व्वां शब्द है,
*‘आ’* की मात्रा दूसरा और *‘म'* पच्चीसवां शब्द है...
अब तीनो अंको का योग करें तो 27 + 2 + 25 = *54*,
*अर्थात एक “राम”* का योग 54 हुआ.
*इसी प्रकार दो “राम राम”* का कुल योग 108 होगा।
हम जब कोई जाप करते हैं तो 108 मनके की माला गिनकर करते हैं।
*सिर्फ 'राम राम' कह देने से ही पूरी माला का जाप हो जाता है।*
राम राम ...जी
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