घर पर दूध की जांच के तरीके:
1. सूंघकर पहचान:
असली दूध में हल्की मीठी खुशबू होती है, जबकि नकली दूध में डिटर्जेंट या केमिकल्स की गंध आ सकती है। यह परीक्षण सरल है और घर पर आसानी से किया जा सकता है।
2. दूध को गर्म करना:
दूध को उबालें। असली दूध उबालने पर मलाई बनाता है और उसकी सतह पर एक परत जम जाती है। नकली दूध में यह परत नहीं बनती और यह जलने की गंध भी दे सकता है।
3. पानी की मिलावट की जांच:
दूध की कुछ बूंदें किसी चिकनी सतह पर डालें। असली दूध धीरे-धीरे बहेगा और सफेद धारियाँ छोड़ेगा, जबकि पानी मिला दूध तेजी से बहेगा और कोई स्थिरता नहीं दिखाएगा।
4. डिटर्जेंट की जांच:
एक चम्मच दूध में थोड़ा पानी मिलाकर हिलाएं। अगर दूध में झाग बनने लगें तो समझ जाएं कि इसमें डिटर्जेंट मिला हुआ है।
5. स्टार्च की पहचान:
दूध में थोड़ी सी आयोडीन की बूंदें डालें। अगर दूध नीला हो जाता है तो इसका मतलब इसमें स्टार्च मिलाया गया है।
लैब में दूध की जांच के वैज्ञानिक तरीके:
1. लैक्टोमीटर टेस्ट:
लैक्टोमीटर एक ऐसा उपकरण है जिससे दूध की शुद्धता मापी जाती है। इसे दूध में डालने पर इसकी स्पेसिफिक ग्रेविटी (विशिष्ट गुरुत्व) मापी जाती है। असली दूध की स्पेसिफिक ग्रेविटी 1.028 से 1.032 के बीच होती है। अगर लैक्टोमीटर का रीडिंग इससे कम या अधिक हो तो दूध में मिलावट हो सकती है।
2. थर्मल टेस्ट:
दूध को 100 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करके उसे ठंडा करने के बाद जांच करें। असली दूध में जमने की प्रवृत्ति होती है, जबकि नकली दूध में यह गुण नहीं होता।
3. क्रोमैटोग्राफी:
इस विधि द्वारा दूध में विभिन्न रासायनिक पदार्थों की उपस्थिति का पता लगाया जाता है। यह एक विस्तृत और सटीक परीक्षण है जो दूध में उपस्थित हानिकारक तत्वों की पहचान कर सकता है।
4. FTIR (Fourier Transform Infrared Spectroscopy):
यह एक उन्नत तकनीक है जिससे दूध में मिलावट की पहचान की जा सकती है। यह दूध के विभिन्न घटकों के इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम को मापता है और किसी भी असामान्यता की पहचान करता है।
नकली दूध के स्वास्थ्य पर प्रभाव:
1. डिटर्जेंट:
नकली दूध में मिलाए गए डिटर्जेंट से पेट की समस्याएं, उल्टी, दस्त और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (GIT) की समस्याएं हो सकती हैं।
2. यूरिया:
नकली दूध में मिलाए गए यूरिया से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह शरीर में यूरिया के स्तर को बढ़ा सकता है जिससे गुर्दे की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
3. सिंथेटिक दूध:
सिंथेटिक दूध में हानिकारक केमिकल्स और कृत्रिम तत्व होते हैं जो शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, विशेषकर लिवर और किडनी।
4. स्टार्च:
दूध में स्टार्च की मिलावट से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और यह डायबिटीज रोगियों के लिए हानिकारक हो सकता है।
नकली दूध से बचाव के उपाय:
1. विश्वसनीय स्रोतों से दूध खरीदें:
दूध हमेशा किसी विश्वसनीय और मान्यता प्राप्त डेयरी से ही खरीदें। ब्रांडेड पैकेज्ड दूध में मिलावट की संभावना कम होती है।
2. फूड टेस्टिंग किट्स का उपयोग करें:
बाजार में उपलब्ध फूड टेस्टिंग किट्स का उपयोग करके दूध की शुद्धता की जांच करें। ये किट्स आसानी से उपयोग की जा सकती हैं और त्वरित परिणाम देती हैं।
3. स्थानीय डेयरियों का दौरा:
यदि आप ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्र में रहते हैं, तो स्थानीय डेयरियों का दौरा करके दूध के उत्पादन और प्रक्रिया को स्वयं देखें। इससे आप दूध की शुद्धता के बारे में आश्वस्त हो सकते हैं।
4. नियमित जांच:
दूध की नियमित अंतराल पर जांच करते रहें, खासकर तब जब आपको उसकी गुणवत्ता पर संदेह हो।
निष्कर्ष:
असली और नकली दूध की पहचान करना न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह हमारी खाद्य सुरक्षा के प्रति जागरूकता का भी हिस्सा है। ऊपर बताए गए घरेलू और वैज्ञानिक तरीकों से हम दूध की शुद्धता की जांच कर सकते हैं और नकली दूध के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों से बच सकते हैं। दूध की शुद्धता की जांच के प्रति जागरूक रहना और इसे सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है ताकि हम और हमारे परिवार स्वस्थ रह सकें।
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